hindisamay head


अ+ अ-

कविता

नीम की पत्तियाँ

नरेश सक्सेना


कितनी सुंदर होती हैं पत्तियाँ नीम की
ये कोई कविता क्या बताएगी

जो उन्हें मीठे दूध में बदल देती है
उस बकरी से पूछो
पूछो उस माँ से
जिसने अपने शिशु को किया है निरोग उन पत्तियों से
जिसके छप्पर पर उनका धुआँ
ध्वजा की तरह लहराता है
और जिसके आँगन में पत्तियाँ
आशीषों की तरह झड़ती हैं

कभी नीम के सफेद नन्हें फूलों की गंध अपने सीने में भरी?
कभी उसकी छाल को घिसकर अपने घावों पर लगाया?
कभी भादों के झकोरों में उन हरी कटारों के झौरों को
झूमते हुए देखा?
नहीं!
तब तो यह कविता मेरा नाम ही धराएगी
जिसकी कोई पंक्ति एक हरी पत्ती-भर छाया भी दे नहीं पाएगी
वो क्या बताएगी
कि कितनी सुंदर होती हैं पत्तियाँ नीम की।

 


End Text   End Text    End Text

हिंदी समय में नरेश सक्सेना की रचनाएँ